ब्रह्मचर्य


खाए हुए भोजन से बने तत्व को संभाल कर रखना ब्रह्मचर्य कहलाता है। भोजन से रस बनता है रस से रक्त, रक्त से चर्वी , चर्वी से हड्डी , हड्डी से मज्जा , मज्जा से वीर्य और वीर्य से ओज। इस ओज से मानव का मुखमण्डल चमकता है। बुद्धि तीव्र व प्रज्ञा हो जाती है। यह ओज ही आत्मा का भोजन है।

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