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ईश्वर को जाने (Hindi PDF)

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ईश्वर को जाने (Hindi PDF)

जो व्यक्ति ईश्वर को ठीक प्रकार जान लेगा और उसी रुप में मान लेगा, वह कभी मत पंथ सम्प्रदाय की उलझन में नहीं उलझेगा, उसका मन शान्त रहेगा, उसका आचरण, आहार पवित्र होगा, वह पाप से दूर रहेगा, उसकी बुद्धि का विकास होगा, दुर्गुण दुर्व्यसन से दूर रहते हुए वह अपने जीवन को सुखी व समृद्ध बना पायेगा, धर्म अर्थ काम मोक्ष की प्राप्ति करेगा, उसके जीवन में दया, प्रेम, अहिंसा, त्याग, सेवा, पवित्रता आदि गुण सहज रुप से विघमान रहेंगे, वह किसी भी प्रकार से अज्ञान अंधविश्वास, अंधग्रद्धा में नहीं फसेगा, वह ज्ञानी व धर्मात्मा बन पूर्व पुरुषार्थ कर आत्म कल्याण के मार्ग पर चलेगा, ईश्वर भक्त को संसार के समस्त ऐश्वर्य की प्राप्ति होगी, सुख दुःख में सदा सहज व शान्त होगा, उसका शरीर स्वस्थ मन पवित्र बुद्धि विकसित व आत्मा बलवान होगी, तो आईये हम भी ईश्वर को जानकर अपने जीवन का कल्याण करें।

शिष्य – गुरुजी!यदि कोई बेद को ना माने तो क्या कोई और भी प्रमाण है?

गुरु – हां पुत्र! सभी आर्ष ग्रन्थ वेदानुकुल होते है उपनिषद में लिखा है “*
ओमित्येकाक्षरमुदगीधमुपासीत्‌”’ अर्थात्‌ई श्वर की ओ३म्‌ नाम से उपासना
करो।

शिष्य – यदिकोई उपनिषद्को भी नमाने तो ?

गुरू – योग दर्शन में लिखा है ““तस्य वाचक प्रणव” अर्थात्‌ उस ईश्वर का नाम
ओइझम्‌है।

शिष्य – क्या श्रीमद्भगवत गीता में भी इस विषय में लिखा है?

गुरु – क्यो नहीं, श्रीकृष्ण तो स्वयं योगी थे, प्रतिदिन सन्‍्धया उपासना करते थे।
गीता में लिखा है ““ओमित्येकाक्षरं ब्रह्म” ओ३म्‌ तत्‌ सत्‌ निर्देश अर्थात्‌
ब्रह्म को ओइम्‌ नाम से स्मरण करो। विद्वान लोग ई श्वरको ओइम्‌ नाम से
पुकारते है।

शिष्य – इस विषय में क्या और भी प्रमाण है?

गुरु – हमारे सभी आर्ष ग्रन्थ, ऋषि मुनि, विद्वान, एक मत से स्वीकार करते है कि
ईश्वर का मुख्य नाम ओझम्‌ है गुरुनानक ने भी कहा “एक ओंकार सत
नाम” इस प्रकार हमें ज्ञान होता है कि ई श्वर का मुख्य नाम ओश्म्‌ है।

शिष्य – गुरुदेव! यदि ईश्वर का मुख्य नाम ओ३म्‌ है तो फिर ब्रह्मा, विष्णु, महेश,
गणेश, शिव, रुद्र, सरस्वती , लक्ष्मी आदि ये नाम किसके है?

गुरु – ये सभी नाम ईश्वर के है, ई श्वर में अनेक गुण है इसलिए उसके अनेक नाम
है लेकिन मुख्य नाम तो ‘ओ३म्‌’ ही है। जैसे सबसे बड़ा है तो ब्रह्मा, सब
जगह होने से विष्णु, दिव्य गुणो से युक्त है तो देव, वह ज्ञान देता है तो
सरस्वती सब ऐश्वर्यों का स्वामी है इसलिए लक्ष्मी आदि।

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